केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम, 1972 में किए गए बदलावों के अनुसार, “दत्तक मां” (सरोगेसी से जन्मे बच्चे की परवरिश करने वाली मां) बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी ले सकती है और साथ ही “दत्तक पिता” 15 दिन का पितृत्व अवकाश ले सकते हैं।
नई दिल्ली: सरोगेसी से बच्चे के जन्म की स्थिति में सरकारी महिला कर्मचारी 180 दिन का मातृत्व अवकाश ले सकती हैं। केंद्र सरकार ने इस संबंध में 50 साल पुराने नियम में संशोधन की घोषणा की है। केंद्रीय सिविल सेवा (छुट्टी) नियम, 1972 में किए गए बदलावों के अनुसार, “दत्तक मां” (सरोगेसी से जन्मे बच्चे की परवरिश करने वाली मां) बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी ले सकती है और साथ ही “दत्तक पिता” 15 दिन का पितृत्व अवकाश ले सकते हैं।
जानिए क्या हैं इसके नियम
कार्मिक मंत्रालय द्वारा अधिसूचित संशोधित नियमों में कहा गया है, “सरोगेसी के मामले में, सरोगेट के साथ-साथ पालक मां को भी 180 दिनों का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता है, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हों, अगर उनमें से एक या दोनों सरकारी कर्मचारी हों।” अभी तक सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की स्थिति में सरकारी महिला कर्मचारियों को मातृत्व अवकाश देने का नियम नहीं था। पिता के मामले में मिलेगी
15 दिन की छुट्टी, नए नियमों में कहा गया है
कि सरोगेसी के जरिए बच्चे के जन्म की स्थिति में पालक पिता, जो सरकारी कर्मचारी है और जिसके दो से कम जीवित बच्चे हैं, उसे बच्चे के जन्म की तारीख से छह महीने के भीतर 15 दिनों का पितृत्व अवकाश दिया जा सकता है। ये नियम 18 जून को अधिसूचित किए गए थे।
जानिए क्या कहते हैं नियम
इसमें कहा गया है कि सरोगेसी के मामले में पालक मां, जिसके दो से कम जीवित बच्चे हों, को चाइल्ड केयर लीव दी जा सकती है। मौजूदा नियमों के तहत, पूरे सेवा काल के दौरान अधिकतम 730 दिनों तक का बाल देखभाल अवकाश “एक महिला सरकारी कर्मचारी और एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी” को शिक्षा, बीमारी और इसी तरह की आवश्यकता के कारण दो सबसे बड़े जीवित बच्चों की देखभाल के लिए दिया जा सकता है।