Mahakumbh 2025 Day 4: प्रयागराज में महाकुंभ 2025 का चौथा दिन श्रद्धालुओं के भारी सैलाब के साथ शुरू हुआ. संगम तट पर सुबह से ही आस्था का अनूठा नजारा देखने को मिला. देश-विदेश से आए भक्तजन गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं. वैदिक मंत्रोच्चार और भजन-कीर्तन से संगम नगरी गूंज रही है.
प्रयागराज का तापमान और मौसम का हाल (Temperature of Prayagraj)
महाकुंभ के चौथे दिन प्रयागराज में ठंड ने दस्तक दी है. सुबह का तापमान लगभग 10 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. न्यूनतम तापमान के चलते सर्दी के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं आई. दिन में हल्की धूप खिलने की संभावना है. मौसम विभाग ने दिन का अधिकतम तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना जताई है. ऐसा भी कहा गया है कि आज यहां बादल छाए रहेंगे.
श्रद्धालुओं की संख्या और सुरक्षा व्यवस्था
चौथे दिन महाकुंभ में लगभग 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है. प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. संगम क्षेत्र में करीब 5000 सुरक्षाकर्मी तैनात हैं जबकि नदी में गोताखोरों और बचाव दलों की निगरानी जारी है. इसके अलावा, घाटों पर CCTV कैमरों और ड्रोन के जरिए सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गयी है.
आज के खास कार्यक्रम (Mahakumbh 2025 today Schedule)
चौथे दिन संगम तट पर कई साधु-संत और अखाड़ों के प्रमुख स्नान करेंगे. श्रद्धालु संगम में स्नान के बाद घाटों पर पूजा-अर्चना कर रहे हैं. निरंजनी अखाड़ा और जूना अखाड़ा में प्रमुख संतों के प्रवचन आयोजित किए जाएंगे. यहां आध्यात्म और धर्म से जुड़े विषयों पर चर्चा होगी. संगम क्षेत्र में शाम को गंगा आरती के साथ भक्ति संगीत का आयोजन होगा. कई प्रमुख कलाकार अपनी प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध करेंगे. घाटों और अखाड़ों में हजारों श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था की गई है, जहां नि:शुल्क प्रसाद वितरित किया जाएगा. महाकुंभ 2025 का चौथा दिन श्रद्धालुओं के उत्साह और भव्य आयोजन के साथ ऐतिहासिक बन रहा है. आस्था, धर्म, और संस्कृति के इस पर्व में भाग लेने वालों की संख्या और ऊर्जा इसे और भी खास बना रही है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)