नई दिल्ली: इस साल सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले एग्जीक्यूटिव की लिस्ट में पूनावाला फिनकॉर्प के पूर्व एमडी अभय भुटाडा पहले नंबर पर हैं। फाइनेंशियल ईयर 2024 में उनकी झोली में 241.2 करोड़ रुपये की भारी-भरकम रकम आई। इस कंपनी का मार्केट कैप 27,484 करोड़ रुपये है और फाइनेंशियल ईयर 2024 में इसका प्रॉफिट 1,683 करोड़ रुपये रहा। दूसरे नंबर पर विप्रो के पूर्व सीईओ थियरी डेलापोर्ट रहे जिन्हें आईटी कंपनी से कुल 166 करोड़ रुपये मिले। कोफोर्ज के सुधीर सिंह को इस दौरान 105.1 करोड़ रुपये मिले। बजाज फाइनेंस के राजीव जैन को 101 करोड़ रुपये, अडानी एंटरप्राइजेज के विनय प्रकाश को 89.4 करोड़ रुपये और परसिसटेंट के संदीप कालरा को 77.1 करोड़ रुपये मिले।
रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रश्मि सलूजा को वित्त वर्ष 2024 में 68.86 करोड़ रुपये मिले। कंपनी की वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। वह बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस सेक्टर (BFSI) में सबसे ज्यादा वेतन पाने के मामले में तीसरे नंबर पर हैं और ओवरऑल सातवें नंबर पर हैं। उन्होंने इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारेख (66.2 करोड़ रुपये), हिंडाल्को के सतीश पई (64.7 करोड़ रुपये) और निप्पन लाइफ के संदीप सिक्का (54.9 करोड़ रुपये) को पीछे छोड़ दिया। बीएफएसआई सेक्टर में उनसे आगे केवल पूनावाला फिनकॉर्प के अभय भुटाडा और बजाज फाइनेंस के राजीव जैन हैं।
कंपनी का प्रॉफिट
वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, सलूजा के पारिश्रमिक में वेतन, भत्ते, लीव इनकैशमेंट, बोनस, लीव ट्रैवल कनसेशन, एनपीएस के लिए एम्प्लॉयर कंट्रीब्यूशन, ईएसओपी और अन्य सुविधाएं शामिल हैं। ईएसओपी को छोड़कर सलूजा ने ₹14.12 करोड़ का पारिश्रमिक प्राप्त किया है। नई दिल्ली की फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी फर्म ने वित्त वर्ष 24 में ₹347 करोड़ का नेट प्रॉफिट कमाया। ग्रुप के पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी नितिन अग्रवाल को वित्त वर्ष 2024 में सकल पारिश्रमिक के रूप में ₹39.79 करोड़ मिले। अग्रवाल ने नवंबर में इस्तीफा दे दिया। रेलिगेयर को भेजे गए ईमेल से रविवार को प्रेस टाइम तक कोई जवाब नहीं मिला।
सलूजा की फिर से नियुक्ति के लिए शेयरधारक प्रस्ताव 31 दिसंबर को मतदान के लिए आएगा। कंपनी के नियंत्रण को लेकर वह रेलिगेयर के सबसे बड़े शेयरधारक बर्मन परिवार से असहमत रही हैं। रेलिगेयर के सबसे बड़े शेयरधारक बर्मन परिवार ने कंपनी में लगभग 25% हिस्सेदारी रखते हुए सितंबर 2023 में परिवार की हिस्सेदारी बढ़ाने और फर्म का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए ओपन ऑफर की घोषणा की थी। रेलिगेयर ने इस कदम का विरोध किया और डाबर के मालिक बर्मन पर धोखाधड़ी और अन्य गलत कामों का आरोप लगाया। बर्मन परिवार का आरोप है कि कंपनी के कॉरपोरेट गवर्नेंस में कई खामियां हैं और इसके लिए रेलिगेयर लीडरशिप जिम्मेदार है।