उत्तर प्रदेश में बीजेपी का किला ढहने के लिए 15 फैक्टर जिम्मेदार!

बीजेपी आकलन रिपोर्ट, उत्तर प्रदेश, लोकसभा चुनाव, बीजेपी, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, वोटिंग शेयर, भाजपा, BJP Estimation Report, Uttar Pradesh, Lok Sabha Elections, BJP, Uttar Pradesh, Maharashtra, Rajasthan, Voting Share, BJP,

बीजेपी आकलन रिपोर्ट: लोकसभा चुनाव में बीजेपी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में पार्टी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सबसे बड़ा झटका लगा है। जहां 2019 में 62 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस बार सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई। उत्तर प्रदेश में हार के बाद बीजेपी इसकी समीक्षा कर रही है। जिसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की गई है। यह रिपोर्ट बताती है कि पेपर लीक समेत कुल 12 कारणों से उत्तर प्रदेश में बीजेपी का किला ढह गया है।

संविधान में संशोधन ने भाजपा की संभावनाओं को बर्बाद कर दिया

रिपोर्ट के मुताबिक सभी क्षेत्रों में बीजेपी के वोट गिरे हैं। इसके वोटिंग शेयर में 8 फीसदी की गिरावट देखी गई है। जिसमें व्रजभूमि, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, कानपुर-बुंदेलखंड, अवध, काशी, गोरखपुर क्षेत्र में 2019 की तुलना में सीटें कम हो गई हैं। समाजवादी पार्टी को पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय का वोट मिला है। बिन यादव का ओबीसी और बिन जाटव का वोट एससी से सपा के पास रहा। इसके पीछे की वजह संविधान में किए गए संशोधनों के बयान रहे हैं।

40 टीमों से 78 लोकसभा सीटों की जानकारी जुटाई

बीजेपी द्वारा तैयार की गई एक समीक्षा रिपोर्ट में उसकी हार के 15 कारण बताए गए हैं। जिसमें पार्टी ने 40 टीमों से 78 लोकसभा सीटों की जानकारी जुटाई। बीजेपी ने एक बैठक में 500 कार्यकर्ताओं से बात की। यह रिपोर्ट कुल 40000 कर्मचारियों से बात करने के बाद तैयार की गई है। रिपोर्ट बीजेपी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की बैठक से पहले पेश की जाएगी।

यूपी में बीजेपी की हार के 12 कारण

  • संविधान संशोधन पर बीजेपी नेताओं की टिप्पणी, ‘आरक्षण हटाएंगे’, विपक्ष के लिए जायज मुद्दा।
  • प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक का मामला।
  • सरकारी विभागों में संविदा कर्मियों की भर्ती और आउटसोर्सिंग का मामला।
  • बीजेपी कार्यकर्ताओं में सरकारी अधिकारियों के प्रति असंतोष की भावना।
  • बीजेपी कार्यकर्ताओं को सरकारी अधिकारियों का सहयोग नहीं मिल रहा है। निचले स्तर पर पार्टी का विरोध।
  • बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में नाम मतदाता सूची से हटा दिये गये थे।
  • टिकट वितरण में जल्दबाजी की गई, जिससे भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं का उत्साह ठंडा पड़ गया।
  • पुलिस थाने और तालुका को लेकर कार्यकर्ताओं में राज्य सरकार के प्रति गुस्सा।
  • ठाकुर वोटर बीजेपी से छिटक गए।
  • पिछड़ी जातियों में कुर्मी, कुशवाह और शाक्य के प्रति कोई रुझान नहीं था।
  • अनुसूचित जनजातियों में पासी और वाल्मिकी मतदाताओं का झुकाव सपा-कांग्रेस की ओर है।
  • बसपा के उम्मीदवारों ने मुसलमानों और अन्य लोगों के वोट हासिल नहीं किए, लेकिन जहां भाजपा समर्थक।
  • उम्मीदवार खड़े किए गए, वे वोट हासिल करने में कामयाब रहे।
  • जमीनी स्तर से लेकर सीमांत तक के मतदाता भाजपा से दूर रहे, जिससे यूपी में भाजपा की हार निश्चित थी। ठाकुर जाति के लोग मूल में शामिल हैं और बीजेपी ने कुर्मी, कुशवाह, शाक्य, पासी और वाल्मिकी समुदाय से दूरी बना ली है।
नोट: अगर आपको यह खबर पसंद आई तो इसे शेयर करना न भूलें, देश-विदेश से जुड़ी ताजा अपडेट पाने के लिए कृपया The Speed News के  Facebook  पेज को Like व Twitter पर Follow करना न भूलें...

Related posts