नई दिल्ली: टाटा ग्रुप की इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (EPC) कंपनी टाटा प्रोजेक्ट्स अगले 12 से 18 महीनों में आईपीओ लाने की योजना बना रही है। यह कंपनी पिछले वित्तीय वर्ष में ₹81.97 करोड़ का नेट प्रॉफिट हासिल करने में सफल रही, जबकि उससे पिछले वर्ष में ₹855.65 करोड़ का घाटा हुआ था। कंपनी का लक्ष्य लिस्टिंग तक अपने वित्तीय स्थिति को मजबूत करना है।
टाटा प्रोजेक्ट्स में टाटा संस का प्रमुख योगदान है, जिनके पास 31 मार्च, 2024 तक कंपनी में 57.31% हिस्सेदारी थी। इसके अतिरिक्त अन्य शेयरधारकों में टाटा पावर (30.81%), टाटा केमिकल्स (6.16%), वोल्टास (4.30%) और टाटा इंडस्ट्रीज (1.42%) शामिल हैं।
पिछले वर्ष, टाटा ग्रुप की ही एक अन्य कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज ने आईपीओ के जरिए सार्वजनिक लिस्टिंग की थी, जो 19 साल में टाटा ग्रुप का पहला आईपीओ था। इससे पहले 2004 में TCS की लिस्टिंग हुई थी।
टाटा प्रोजेक्ट्स के एमडी और सीईओ विनायक पई ने बताया कि कंपनी अगले 12-18 महीनों में वित्तीय रूप से और मजबूत होगी। कंपनी का ध्यान नकदी प्रवाह और अपने राजस्व पर 4-5% नकदी उत्पन्न करने पर है, जो उसे आईपीओ के लिए पूरी तरह तैयार करेगा। पई के अनुसार, कंपनी के बड़े प्रोजेक्ट्स में नई संसद भवन और मुंबई का अटल सेतु शामिल हैं। टाटा ग्रुप की कंपनियों जैसे टीसीएस, टाटा पावर, इंडियन होटल्स, टाटा स्टील और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ जुड़े हुए 20% से अधिक प्रोजेक्ट्स कंपनी को मिल रहे हैं।
वर्तमान में, टाटा प्रोजेक्ट्स के पास लगभग ₹44,000 करोड़ का ऑर्डरबुक है, जिसमें से लगभग 90% बकाया ऑर्डर भारत से हैं। पई ने कहा कि कंपनी पहले योजना और पुनर्निर्माण के चरण में थी, लेकिन अब जब उसकी क्षमता में सुधार हुआ है, तो वह नए ऑर्डरों को लेकर अधिक आक्रामक हो रही है।
कंपनी की इनकम ₹17,761 करोड़ रही, और इसने ₹81.97 करोड़ का नेट प्रॉफिट दर्ज किया। इससे पिछले वर्ष में कंपनी को ₹855.65 करोड़ का घाटा हुआ था। पई ने यह भी बताया कि कंपनी को अब निजी क्षेत्र से अधिक ऑर्डर मिल रहे हैं, और अगले पांच वर्षों में इसका रेवेन्यू मिक्स निजी क्षेत्र के पक्ष में 70:30 हो सकता है।
टाटा प्रोजेक्ट्स की सफलता और विकास के ये संकेत आने वाले समय में इसकी सार्वजनिक लिस्टिंग के लिए एक मजबूत आधार तैयार कर रहे हैं।