नई दिल्ली: ब्रिटेन की राजधानी लंदन से अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क महज 54 मिनट में पहुंचा जा सकता है। वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी यानी हाइपरलूप के जरिए यह संभव हो सकता है। लेकिन इसमें करीब 20 ट्रिलियन डॉलर का खर्च आएगा जो चीन की जीडीपी से ज्यादा है। चीन की जीडीपी अभी करीब 18 ट्रिलियन डॉलर है। अटलांटिक महासागर के आरपार स्थित लंदन और न्यूयॉर्क के बीच हाइपरसोनिक अंडरवाटर टनल में 3,000 मील प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन चल सकती हैं। दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क ने वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी का समर्थन किया है। उनकी कंपनी हाइपरलूप पर काम कर रही है।
अटलांटिक सागर को दोनों छोरों को अंडरग्राउंड सुरंग के जरिए जोड़ने की विचार नया नहीं है। लेकिन अब तक ऐसी तकनीक मौजूद नहीं है। अभी लंदन और न्यूयॉर्क के बीच फ्लाइट में करीब आठ घंटे का समय लगता है। पारंपरिक तकनीक से समुद्र के नीचे सुरंग बनाने में काफी खर्च आएगा और इस पर ट्रेन की रफ्तार ज्यादा नहीं होगी। लेकिन मस्क और कई दूसरे लोगों का कहना है कि वैक्यूम ट्यूब तकनीक महत्वपूर्ण हो सकती है और इस प्रोजेक्ट को व्यावहारिक बना सकती है।
मस्क का पेपर
पेशे से इंजीनियर मस्क ने 2013 में एक पेपर में इस अवधारणा को दुनिया के सामने रखा था। मस्क ने टनल टेक्नोलॉजी पर केंद्रित कंपनी द बोरिंग की स्थापना भी की है। सुरंग के भीतर वैक्यूम क्रिएट किया जाएगा जिससे ट्रेनों को किसी भी एयर रेसिसटेंस का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस तरह वे पारंपरिक ट्रेनों की तुलना में कहीं अधिक रफ्तार से चल सकती हैं। हाइपरलूप में चलने वाले कैप्सूल कैप्सूल सैद्धांतिक रूप से 3,000 मील प्रति घंटे से अधिक रफ्तार से चल सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो लंदन से न्यूयॉर्क की दूरी एक घंटे में तय की जा सकती है।
लंदन और न्यूयॉर्क को जोड़ने के लिए समुद्र के नीचे 3,000 मील से ज्यादा लंबी सुरंग बनानी होगी। यह फ्रांस को इंग्लैंड को जोड़ने वाली चैनल टनल की लंबाई से करीब 130 गुना लंबी होगी। 23.5 मील लंबी चैनल सुरंग को बनने में छह साल लगे। यह साल 1994 में बनकर तैयार हुई थी। इस हिसाब से देखें को अटलांटिक के आरपार सुरंग बनाने में कई दशक लग सकते हैं। लेकिन वैक्यूम ट्यूब तकनीक में हाल ही में हुई प्रगति के के कारण इस प्रोजेक्ट को लेकर दुनिया की दिलचस्पी बढ़ी है।
भारत में टेस्ट
चीन और भारत में अभी वैक्यूम ट्रेन का टेस्ट चल रहा है। लंदन और न्यूयॉर्क के बीच हाइपरलूप के निर्माण के लिए कई तरह की योजनाओं पर विचार चल रहा है। एक विचार स्टिल्ट पर ऊंची सुरंग बनाने का है। इसी तरह एक तैरती हुई सुरंग की भी कल्पना की गई है। प्रत्येक डिजाइन में लॉजिस्टिक्स और और इंजीनियरिंग की कठिनाइयां हैं। प्रोजेक्ट को व्यावहारिक बनाने के लिए निर्माण तकनीक, सुरक्षा नियम और मटीरियल साइंस में भी सुधार की जरूरत है। लेकिन इसके सपोटर्स का मानना है कि वैक्यूम ट्रेन की उच्च दक्षता और कम उत्सर्जन से पर्यावरण को बहुत लाभ हो सकता है।