भोपाल: राजधानी के कोलार इलाके में रविवार शाम एक बैंक मैनेजर को साइबर ठगों ने उनके ही घर में एक घंटे तक डिजिटल रूप से बंदी बना लिया। ठगों ने खुद को क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताकर महिला को 2.56 करोड़ रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की। डर के मारे महिला अपने कमरे में बंद हो गईं और ठगों के निर्देशों का पालन करती रहीं। परिवार को शक होने पर उन्होंने पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद ठग भाग गए।
शाम को आया कॉल
रविवार शाम करीब 4:30 बजे बैंक ऑफ इंडिया की असिस्टेंट मैनेजर, प्रणाली टिकेकर, को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को दिल्ली क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताते हुए कहा कि उनके नाम पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज हुआ है। उन्होंने बताया कि उनके खाते से 2.56 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ है। महिला ने इस आरोप से इनकार किया और कहा कि उन्होंने ऐसा कोई लेनदेन नहीं किया।
वीडियो कॉल पर दिखे अधिकारी
इसके बाद ठगों ने महिला को वीडियो कॉल करने को कहा। वीडियो कॉल पर वर्दीधारी पुलिस अधिकारी दिखाई दिए, जिन्होंने महिला को बताया कि उन्हें डिजिटल रूप से गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्हें घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है। यह सुनकर महिला डर गईं और अपने कमरे में बंद हो गईं। करीब एक घंटे तक ठग उनका बयान दर्ज करते रहे।
पुलिस को दी सूचना
घटना संदिग्ध लगने पर महिला की सास ने अपने एक रिश्तेदार को जानकारी दी। रिश्तेदार ने परिवार को कोलार थाने जाने की सलाह दी। पूरा परिवार थाने पहुंचा और पुलिस को घटना की जानकारी दी। कोलार पुलिस तुरंत महिला के घर पहुंची। असली पुलिस को देखकर साइबर ठग घबरा गए। उन्होंने कुछ सवालों के जवाब दिए और फिर कैमरा बंद करके भाग गए। एडिशनल डीसीपी मलकीत सिंह ने बताया कि महिला को करीब एक घंटे तक डिजिटल रूप से बंदी बनाकर रखा गया था। लेकिन पुलिस के आने से पहले ही ठग भाग निकले।
क्या होता है डिजिटल
डिजिटल ठगी में लोगों को घर में ही कैद करके उनसे पैसे ऐंठे जाते हैं। ठग आपको गिरफ्तारी का डर दिखाकर घर में ही कैद कर देते हैं। वीडियो कॉल करके वे अपना बैकग्राउंड पुलिस स्टेशन जैसा दिखाते हैं। वे ऑनलाइन मॉनिटरिंग करते हैं कि आप कहां जा रहे हैं। बैंक अकाउंट सीज करने और गिरफ्तारी की धमकी देते हैं। ऐप डाउनलोड करवाकर फर्जी डिजिटल फॉर्म भरवाते हैं। डमी अकाउंट बताकर उसमें पैसे ट्रांसफर करवाते हैं। डिजिटल अरेस्ट में आपको 24×7 एक कमरे में कैमरे के सामने रहना पड़ता है। कोई भी व्यक्ति डिजिटल अरेस्ट का शिकार हो सकता है। जो लोग अपडेट नहीं रहते, उनके डिजिटल अरेस्ट होने का खतरा ज्यादा होता है।
डिजिटल गिरफ्तारी की पहचान कैसे करें?
अगर आपको नारकोटिक्स, साइबर क्राइम, IT या ED अफसर के नाम से कॉल आए, तो सावधान हो जाएं। अगर साइबर ठग आपकी कोई ऐसी गलती बताएं, जिसके बारे में आपको पता ही न हो, तो समझ जाइए कि यह ठगी हो सकती है। अगर आपको डिजिटल अरेस्ट करने की जानकारी दी जाए, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।