नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)। हाल ही में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन में यह सामने आया है कि क्रोनिक पल्मोनरी एस्परजिलोसिस (सीपीए), एक सामान्य फंगल संक्रमण, फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। यह बीमारी हर साल दुनियाभर में करीब 3.4 लाख लोगों की जान लेती है, और फेफड़ों से जुड़ी समस्याओं से पीड़ित हर तीन में से एक व्यक्ति के लिए यह खतरनाक हो सकती है।
क्या है क्रोनिक पल्मोनरी एस्परजिलोसिस (सीपीए)?
सीपीए एस्परजिलस नामक फंगस के हवाई कणों के संपर्क में आने से होता है। यह फेफड़ों में धीरे-धीरे निशान बनाता है, जो महीनों और वर्षों तक बना रह सकता है। यह एक गंभीर बीमारी है, जिससे मरीजों को भारी थकावट, वजन घटना, सांस लेने में परेशानी और खून वाली खांसी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। हालांकि, एस्परजिलस का संपर्क अधिकांश लोगों के लिए हानिकारक नहीं होता, लेकिन फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे रोगी इस संक्रमण से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं।
अध्ययन के परिणाम
लांसेट इंफेक्सियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में यह पाया गया कि अगर फेफड़ों की बीमारी से पहले ही प्रभावित 32 मरीज सीपीए से संक्रमित हो जाते हैं, तो पांच साल के भीतर उनकी मृत्यु हो सकती है। अध्ययन के अनुसार, सीपीए से पीड़ित लगभग 15 लोग अन्य फेफड़ों की बीमारियों से एक साल के भीतर ही अपनी जान गंवा देते हैं।
एम्स के डॉ. अभिनव सेनगुप्ता और डॉ. अनिमेष रे ने इस अध्ययन में 8,778 मरीजों का डेटा खंगाला, जो अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया के सभी महाद्वीपों से लिया गया था। इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) से प्रभावित मरीजों की पांच साल की मृत्यु दर तुलनात्मक रूप से कम थी। हालांकि, कई मरीजों का गलत डायग्नोसिस किया जाता है और उन्हें टीबी का इलाज दिया जाता है, जिससे उनका सही फंगल इलाज नहीं हो पाता।
इलाज के उपाय
शोधकर्ताओं ने बताया कि एंटीफंगल दवाओं या सर्जरी से इलाज न केवल लक्षणों को सुधार सकता है, बल्कि मृत्यु के खतरे को भी कम कर सकता है। खासतौर पर, 60 साल से अधिक उम्र के लोग, इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (फेफड़ों के ऊतकों का रोग), कैंसर के मरीज और धूम्रपान से संबंधित फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों के लिए इसका इलाज और भी जरूरी है, क्योंकि ऐसे मरीजों के नतीजे अधिक खराब होते हैं।
निष्कर्ष
यह अध्ययन यह दर्शाता है कि फेफड़ों की बीमारी से ग्रस्त मरीजों में सामान्य फंगल संक्रमण भी गंभीर और जानलेवा हो सकता है, और इसका सही समय पर इलाज करना बेहद महत्वपूर्ण है। सीपीए जैसे संक्रमणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और सही डायग्नोसिस के महत्व को समझना बेहद आवश्यक है।