अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो 20 जनवरी 2025 को फिर से राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं, ने BRICS देशों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि यदि BRICS देशों ने अमेरिकी डॉलर के स्थान पर अपनी नई करेंसी बनाने की कोशिश की, तो उन्हें अमेरिका से अपना व्यापार पूरी तरह से बंद करना होगा।
BRICS देशों को दी धमकी: डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर ट्वीट करते हुए कहा, “BRICS देशों ने अमेरिकी डॉलर से दूर जाने की कोशिश शुरू कर दी है, लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। हम इन देशों से यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि वे न तो कोई नई BRICS करेंसी बनाएंगे और न ही अमेरिकी डॉलर की जगह किसी और करेंसी का समर्थन करेंगे। यदि वे ऐसा करते हैं, तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा, और उन्हें अमेरिकी बाजार में अपने उत्पादों को बेचने के लिए अलविदा कहना होगा।” ट्रंप ने यह भी कहा कि इस बात की कोई संभावना नहीं है कि BRICS देशों की कोई नई करेंसी अमेरिकी डॉलर की जगह ले सके।
BRICS देशों की चिंता: ट्रंप के इस बयान से BRICS देशों के लिए चुनौती पैदा हो गई है। BRICS देशों में भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। इन देशों के बीच व्यापार और निवेश के लिए एक सामान्य करेंसी की चर्चा पहले भी हो चुकी है, विशेष रूप से 2023 में दक्षिण अफ्रीका में हुई BRICS समिट के दौरान, जहां इन देशों ने एक सामान्य करेंसी लाने पर विचार किया था। रूस के कजान में 2024 में हुई बैठक में भी इस मुद्दे पर गंभीर चर्चा हुई थी, जिससे ट्रंप को चिंता हुई और उन्होंने पहले ही कड़ा बयान दे दिया।
भारत पर असर: अगर BRICS देशों ने अपनी नई करेंसी शुरू की तो भारत, जो BRICS का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, पर इसका बड़ा असर पड़ेगा। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में भारी मात्रा में लेन-देन होता है। 2023-24 वित्त वर्ष में भारत और अमेरिका के बीच व्यापार 118.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था। अगर ट्रंप का यह कदम प्रभावी होता है, तो भारत के व्यापार पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है, खासकर जब भारत को अमेरिका से इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट के मामले में महत्वपूर्ण निर्भरता है।
ट्रंप के बयान ने BRICS देशों के लिए एक नई चुनौती पेश की है और यह देखना होगा कि इन देशों की ओर से इसके जवाब में क्या कदम उठाए जाते हैं।