वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़ा विवाद लगातार सुर्खियों में है, और अब इस मामले पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होनी है। यह सुनवाई मंगलवार को दोपहर 2 बजे होगी, और इसका मुख्य मुद्दा ज्ञानवापी परिसर में स्थित वजूखाने का सर्वे है। मुस्लिम पक्ष और हिंदू पक्ष के बीच इस सर्वे को लेकर मतभेद हैं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) द्वारा सर्वे किया जाना उचित नहीं है, जबकि हिंदू पक्ष इस सर्वे का समर्थन करता है।
वजूखाने के सर्वे पर विवाद
मुस्लिम पक्ष ने एएसआई द्वारा सर्वे किए जाने का विरोध किया है। उनका कहना है कि यह सर्वे धार्मिक स्थल के सम्मान और सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है। दूसरी ओर, हिंदू पक्ष का कहना है कि वजूखाने में मौजूद संरचनाओं का सर्वे किया जाना आवश्यक है ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह स्थल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है या नहीं।
सर्वे का आदेश और हाई कोर्ट में चुनौती
21 अक्टूबर 2023 को, वाराणसी के जिला जज ने एएसआई को वजूखाने का सर्वे करने का आदेश दिया था। इस आदेश को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिला जज ने अपने फैसले में यह कहा था कि वजूखाने का सर्वे धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए आवश्यक है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि शीर्ष अदालत द्वारा संरक्षित स्थल, यानी जहां शिवलिंग की बात की गई है, वहां एएसआई द्वारा सर्वे का आदेश देना उचित नहीं होगा।
ज्ञानवापी विवाद का इतिहास
ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद मामला है। इतिहासकारों के अनुसार, 1194 में मुहम्मद गौरी ने काशी के मंदिर को तोड़कर यहां मस्जिद बनाई थी। बाद में औरंगजेब के आदेश पर इस मंदिर को फिर से ध्वस्त किया गया और उसके आधे हिस्से पर जामा मस्जिद बनाई गई। इसके बाद, 1735 में देवी अहिल्याबाई ने काशी विश्वनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण किया, जो ज्ञानवापी परिसर के पास स्थित है।
क्या है भविष्य?
ज्ञानवापी मामले में जारी विवाद और अदालत की सुनवाई से यह स्पष्ट नहीं है कि आखिरकार इसका क्या हल निकलेगा, लेकिन यह मामला भारतीय समाज और न्याय व्यवस्था में धार्मिक संवेदनाओं को छूने वाला है। आज की हाईकोर्ट की सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें वजूखाने के सर्वे को लेकर फैसले का असर ज्ञानवापी के अन्य पहलुओं पर भी पड़ सकता है।