अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के रिसर्चर सुचिर बालाजी की संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। वो OpenAI के पूर्व रिसर्चर थे, जिस पर ChatGPT बेस्ड है। हालांकि अपनी मौत से पहले बालाजी OpenAI के खिलाफ काफी मुखर हो गये थे, उन्होंने OpenAI को समाज के लिए खतरनाक बताया था। साथ ही OpenAI पर कॉपीराइट कानून तोड़ने के आरोप लगाये थे। इसके बाद ही वो सैन फ्रांसिस्को स्थित अपार्टमेंट में मृत पाये गये। उनकी मौत चर्चा का विषय बनी हुई है। सैन फ्रांसिस्को ऑफिस ऑफ चीफ चीफ मेडिकल एग्जामिनर का कहना है कि सुचिर ने आत्महत्या की है।
कौन थे सुचिर बालाजी
सुचिर बालाजी ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के स्टूडेंट थे, जहां से उन्होंने कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई की थी। साथ ही OpenAI और Scale AI में इंटरनशिप की थी। वो ChatGPT बनाने वालों डेवलपर्स में शामिल थे। OpenAI में चार साल गुजारने के बाद सुचिर को एहसास हुआ कि यह टेक्नोलॉजी समाज को फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचाने वाली है। ऐसे में उन्होंने OpenAI से दूरी बना ली।
सुचिर के बयान से एआई को लेकर बढ़ी चिंता
सुचिर के बयान और फिर उनकी मौत ने एआई को लेकर बहस छेड़ दी है। सुचिर का कहना था कि जनरेटिव एआई को विकसित करने के लिए गलत और कॉपीराइट डेटा का इस्तेमाल किया गया है, जो कि एक फेयर प्रैक्टिस नहीं है। बता दें कि जनरेटिव एआई कंपनियों के खिलाफ कई तरह के मामले चल रहे हैं। बालाजी ने मशीन लर्निंग रिसर्चर को कॉपीराइट के बारे में सजग रहने की सलाह दी थी।
गलत तरीके से डेटा कलेक्शन पर लगा था आरोप
बालाजी की स्टोरी हाल ही में न्यूयार्क टाइम्स अखबार में प्रकाशिक हुई थी, जिसमें जनरेटिव और फेयर यूज का जिक्र किया गया था। इस इंटरव्यू में उन्होंन विस्तार से बताया था कि कैसे OpenAI खतरनाक तरीके से डेटा को कलेक्ट करता है। उन्होंने GPT-4 की ट्रेनिंग के दौरान बड़े पैमाने पर इंटरनेट डेटा के इस्तेमाल को लेकर चिंता जाहिर की थी। इसे लेकर बालाजी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट लिखकर जानकारी दी थी।