ईवीएम पर उठते सवाल: चुनावी धोखाधड़ी की अफवाहों का सच

ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) पर उठने वाले सवालों का मुख्य कारण चुनावों में इनकी विश्वसनीयता को लेकर उत्पन्न शंकाएँ हैं। हालांकि, कई विशेषज्ञ और अधिकारी यह दावा करते हैं कि ईवीएम को किसी खास पार्टी के पक्ष में प्रोग्राम करना असंभव है, इसके बावजूद कुछ लोग इसके खिलाफ संदेह व्यक्त करते हैं। इसके अंतर्गत 20 सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो ईवीएम की सुरक्षा और विश्वसनीयता को स्पष्ट करने में मदद करते हैं।

यहां कुछ प्रमुख सवालों के जवाब दिए गए हैं:

  1. क्या ईवीएम को किसी पार्टी के पक्ष में प्रोग्राम किया जा सकता है?
    • नहीं, क्योंकि ईवीएम में ‘वन टाइम प्रोग्रामेबल’ (OTP) चिप्स होते हैं जिन्हें एक बार ही प्रोग्राम किया जा सकता है। इसे विशेषज्ञों की निगरानी में प्रोग्राम किया जाता है और वोटिंग से पहले मॉक पोल भी किए जाते हैं।
  2. क्या ईवीएम की सॉफ्टवेयर में बदलाव किया जा सकता है?
    • ईवीएम के सॉफ्टवेयर को एक बार प्रोग्राम करने के बाद उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। यह सुनिश्चित किया गया है कि इसमें कोई बाहरी पोर्ट या इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है।
  3. क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है?
    • भारतीय ईवीएम में कोई वायरलेस सिग्नल, इंटरनेट या ब्लूटूथ नहीं होता। इसे ‘एयर-गैप्ड’ डिज़ाइन किया गया है, यानी यह किसी भी नेटवर्क से भौतिक रूप से अलग हैं।
  4. क्या ईवीएम में वोटों की गिनती में हेरफेर हो सकता है?
    • ईवीएम में सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हैं और हर वोट को सही तरीके से रिकॉर्ड किया जाता है। इसके अलावा, वोटिंग से पहले सभी ईवीएम की सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
  5. क्या बैटरी खत्म होने पर वोटों का डेटा खो सकता है?
    • नहीं, क्योंकि ईवीएम में नॉन-वोलेटाइल मेमोरी और बैकअप सिस्टम होते हैं, जो बैटरी खत्म होने के बाद भी डेटा को सुरक्षित रखते हैं।

इन सवालों के जवाब यह सिद्ध करते हैं कि भारतीय ईवीएम सुरक्षित हैं और उनका संचालन पारदर्शी होता है। हालांकि, चुनावों के बाद ये शंकाएँ इसलिए उठती हैं क्योंकि कई लोग तकनीकी पहलुओं को समझने में कठिनाई महसूस करते हैं।

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