इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच जंग अब और भी तीव्र हो गई है। रविवार को हिजबुल्लाह द्वारा इजराइली इलाकों पर मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद, इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए लेबनान में हवाई हमले किए। इस हमले में 29 लोगों की मौत हो गई और कई इमारतें पूरी तरह से नष्ट हो गईं। इजराइली वायु सेना ने खासकर बेरूत में हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाया।
इजराइल की एयर स्ट्राइक में हुआ भारी नुकसान
इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) के अनुसार, इजराइली वायु सेना ने लेबनान के दहिह और बेरूत इलाके में हिजबुल्लाह के 12 कमांड सेंटरों पर हमला किया। इन ठिकानों में हिजबुल्लाह की खुफिया इकाई, तट से समुद्र तक मार करने वाली मिसाइल इकाई और ईरान से लेबनान तक हथियारों की तस्करी के लिए इस्तेमाल होने वाली साइटें शामिल थीं। इजराइल का कहना है कि हिजबुल्लाह इन स्थानों का उपयोग आतंकवादी हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के लिए कर रहा था।
इन हवाई हमलों में 29 लोगों की मौत हो गई, और कई बहुमंजिला इमारतें तबाह हो गईं। हालांकि, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले 20 लोगों की मौत की पुष्टि की थी। यह हमला हिजबुल्लाह के आतंकवादी नेटवर्क को निशाना बनाने का हिस्सा था, जिनकी गतिविधियों से इजराइल की सुरक्षा को खतरा है।
हिजबुल्लाह के ठिकानों पर इजराइल की सख्त कार्रवाई
आईडीएफ ने बताया कि हिजबुल्लाह के कमांड सेंटर इजराइल के खिलाफ हमले योजना बनाने, कमांड देने और आतंकवादी गतिविधियों की निगरानी करने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे। इन हमलों के बाद, इजराइल ने लेबनान के नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए कई इमारतों को खाली करने का आदेश दिया। इस कदम से हताहतों की संख्या को कम करने की कोशिश की गई है।
युद्धविराम की कोशिशों के बावजूद संघर्ष जारी
इजराइल का यह हमला ऐसे समय हुआ है जब दोनों पक्षों के बीच युद्धविराम की कोशिशें चल रही हैं। इसके बावजूद, इजराइल ने अपनी सैन्य कार्रवाई को जारी रखा है और हिजबुल्लाह के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया है। पिछले रविवार को भी इजराइली हवाई हमलों में एक हिजबुल्लाह प्रवक्ता की मौत हो गई थी, जिसके बाद से संघर्ष और भी गहरा गया है।
निष्कर्ष
इजराइल और हिजबुल्लाह के बीच बढ़ता संघर्ष एक जटिल और गंभीर स्थिति को जन्म दे रहा है। इजराइल की एयर स्ट्राइक से लेबनान में भारी तबाही मच गई है, जबकि हिजबुल्लाह के हमलों ने इजराइल की सुरक्षा को चुनौती दी है। इस संघर्ष का असर सिर्फ दोनों देशों पर ही नहीं, बल्कि पूरे मध्य-पूर्व क्षेत्र पर पड़ सकता है। ऐसे में, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या युद्धविराम की कोई संभावना बनती है या स्थिति और बिगड़ती है।