नई दिल्ली: भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक मुकाबले के दौरान एडिलेड ओवल के गेट 12 पर एक व्यक्ति पेंटिंग कर रहा था, जिसने क्रिकेट फैंस का ध्यान खींच लिया। सिर पर कैप, आंखों पर गॉगल और चेक वाली शर्ट पहने हुए, यह व्यक्ति पेंटिंग कर रहा था। उसकी शैली से ऐसा लग रहा था कि वह या तो कोई मशहूर पेंटर है, या फिर कोई क्रिकेट सेलिब्रिटी जो पेंटिंग सिर्फ विज्ञापन के लिए कर रहा है। लेकिन जब पास जाकर देखा गया, तो यह व्यक्ति कोई और नहीं, बल्कि जिम्बाब्वे का पूर्व क्रिकेटर हेनरी ओलंगा था।
हेनरी ओलंगा वही क्रिकेटर हैं जिनका करियर भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की एक पारी ने तबाह कर दिया था। फिलहाल ओलंगा ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं और पेंटिंग के पेशे में कार्यरत हैं। वह क्रिकेट से काफी दूर हो चुके हैं और अब एक पेशेवर पेंटर के रूप में अपना जीवन यापन करते हैं।
सचिन की पारी ने तबाह किया ओलंगा का करियर
हेनरी ओलंगा उस मैच के बारे में खुलकर बात करते हैं जब सचिन तेंदुलकर ने उनकी गेंदबाजी का शिकार किया था। यह मैच 13 नवंबर 1998 को कोका कोला चैंपियंस ट्रॉफी का फाइनल था। शारजाह के मैदान पर भारतीय क्रिकेट टीम ने शानदार प्रदर्शन किया, और सचिन तेंदुलकर ने 92 गेंदों में 12 चौके और 6 छक्के लगाते हुए नाबाद 124 रन की शानदार पारी खेली। ओलंगा उस मैच में भारत के खिलाफ 6 ओवरों में 50 रन देकर बेहल गए थे। भारत ने यह मैच 10 विकेट से जीतकर ट्रॉफी अपने नाम की थी।
ओलंगा इस पारी के बारे में कहते हैं, “फाइनल में सचिन पागल हो गए थे। मैंने बहुत सारे रन दिए, और वह धमाल मचाते रहे। वह उस रात कमाल थे। सचिन… मैं उनका सम्मान करता हूं।” ओलंगा यह स्वीकार करते हैं कि सचिन ने उनकी गेंदबाजी का भरपूर फायदा उठाया और उनका करियर एक तरह से तबाह हो गया। हालांकि, ओलंगा इस हार को अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं और इसके बावजूद सचिन तेंदुलकर के प्रति अपनी इज्जत दिखाते हैं।
सचिन से बदला लेने का पैंतरा
इस मैच से पहले ओलंगा को एक खराब गेंदबाजी पर सचिन तेंदुलकर ने आउट किया था। ओलंगा के कद के हिसाब से यह एक शर्मनाक स्थिति थी। लेकिन इसके बाद ओलंगा ने जिस तरीके से जवाब दिया, वह क्रिकेट जगत में बदले के रूप में याद किया जाता है। इस मैच में सचिन तेंदुलकर के शानदार प्रदर्शन ने ओलंगा की गेंदबाजी पर जबरदस्त दबाव डाला, और यह उनके करियर के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ।
तानाशाही शासन के खिलाफ आवाज उठाने वाले खिलाड़ी
हेनरी ओलंगा और उनके साथी खिलाड़ी एंडी फ्लावर, 2003 के विश्व कप के दौरान जिम्बाब्वे के तानाशाह राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे के खिलाफ आवाज उठाने के लिए काली पट्टी बांधने का फैसला किया था। यह एक साहसी कदम था, क्योंकि मुगाबे के शासन के खिलाफ बोलने वाले लोगों के लिए कई तरह की मुश्किलें थीं। ओलंगा और फ्लावर का यह कदम उनकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।