भारत और रूस ने अपने सैन्य-तकनीकी सहयोग को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते के तहत दोनों देश रक्षा उपकरणों के संयुक्त विकास, उत्पादन, और प्रौद्योगिकी आदान-प्रदान में सहयोग करेंगे, जिससे भारत की रक्षा क्षमताओं में सुधार होगा और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ेंगे।
भारत-रूस रक्षा सहयोग में नई दिशा
भारत-रूस के बीच मजबूत रक्षा संबंधों को और गहरा करने के लिए भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-M&MTC) की चौथी बैठक आयोजित की गई, जो दोनों देशों के बीच सहयोग को एक नए स्तर पर ले जाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इस बैठक में पुतिन की भारत यात्रा से पहले रक्षा तकनीकी सहयोग और भविष्य की रणनीतिक परियोजनाओं पर गहन चर्चा की गई।
यूक्रेन युद्ध और चीन के साथ तनाव के बावजूद, रूस ने S-400 एयर डिफेंस सिस्टम भारत को प्रदान किया, जो दोनों देशों के रिश्तों को और प्रगाढ़ बनाने का कारण बना। इसके अलावा, अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस के साथ सामरिक और व्यापारिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है।
भारत-रूस रक्षा समझौता: नई दिशा और विस्तार
इस समझौते के तहत निम्नलिखित क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जाएगा:
- संयुक्त रक्षा उत्पादन: भारत और रूस मिलकर अत्याधुनिक हथियार और रक्षा उपकरणों का विकास करेंगे।
- प्रौद्योगिकी स्थानांतरण: रूस भारत को महत्वपूर्ण रक्षा तकनीकी जानकारी और उपकरण प्रदान करेगा, जिससे भारतीय रक्षा उद्योग को मजबूती मिलेगी।
- नई परियोजनाओं पर सहयोग: दोनों देशों के बीच अगली पीढ़ी के हथियारों और रक्षा प्रणालियों के विकास के लिए साझेदारी की जाएगी।
भारत की रक्षा क्षमता को मजबूत करना और आत्मनिर्भरता की दिशा में यह पहल एक महत्वपूर्ण कदम है, जो भारतीय रक्षा उद्योग को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाएगी। इस सहयोग के माध्यम से भारत और रूस के रिश्ते और भी मजबूत होंगे और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग का एक नया अध्याय प्रारंभ होगा।