उत्तर प्रदेश में कुछ जगहों पर बिना अनुमति के जानवरों को मारा जा रहा था, जिन्हें अवैध बूचड़खाने कहा जाता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पता चला कि इन जगहों को कुछ अधिकारियों ने अनुमति दी थी, जिन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। जब उन्हें इस बारे में पता चला, तो पर्यावरण और प्रदूषण नियंत्रण टीम के प्रभारी लोगों में काफी हलचल मच गई।
इसकी वजह से कुछ अधिकारियों को परिणाम भुगतने पड़े और प्रदूषण नियंत्रण टीम ने अवैध बूचड़खानों को चेतावनी भेजी। अब, वे उन जगहों से अनुमति वापस लेना शुरू कर रहे हैं, जिन्हें कभी नहीं मिलना चाहिए था। एक सख्त नियम जो कहता है कि आप ऐसी जगह नहीं बना सकते जहाँ जानवरों को गलत या अवैध तरीके से मारा जाता हो। योगी सरकार ने फैसला किया कि कोई भी अवैध जगह नहीं चला सकता जहाँ जानवरों को मांस के लिए मारा जाता हो।
इसकी वजह से मीट की दुकान खोलने की अनुमति मिलना वाकई मुश्किल हो गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन जगहों की जाँच करने का प्रभारी था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे नियमों का पालन करते हैं। लेकिन उस बोर्ड में कुछ लोगों ने अपने अधिकारों का फायदा उठाकर अपने लिए अतिरिक्त पैसे कमाए। एक समस्या मुख्यमंत्री के ध्यान में लाई गई।
यह तीन जगहों के बारे में था: उन्नाव से एओवी प्राइवेट लिमिटेड, अलहक फूड्स प्राइवेट लिमिटेड और गाजियाबाद से अल नासिर स्लॉटर हाउस। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन जगहों को संचालन की अनुमति दी थी, लेकिन उन्होंने इसे इस तरह से किया जिससे नियम टूट गए। जब किसी ने कोई समस्या बताई, तो पांच लोगों के एक समूह ने उस पर ध्यान से गौर किया। उन्होंने पता लगाया कि क्या हुआ था।
जांच के कारण, दो महत्वपूर्ण लोगों, विवेक राय और अनिल माथुर को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। साथ ही, बोर्ड के बॉस और उनके दो सहायकों सहित तीन अन्य लोगों को भी उनके पदों से हटा दिया गया। इस स्थिति के कारण और भी कार्रवाई हो सकती है।