नई दिल्ली: चीन को दुनिया की फैक्ट्री कहा जाता है। पूरी दुनिया के बाजार चीन के माल से पटी पड़ी हैं। पिछले साल यानी 2023 में उसने 3,380.02 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट किया था जो भारत से करीब आठ गुना ज्यादा है। लेकिन नवंबर में चीन के एक्सपोर्ट और इंपोर्ट में अनुमान से कम रहा। यह सब ऐसे समय हुआ है जब चीन की इकॉनमी कई मोर्चों पर संघर्ष कर रही है। सरकार कोविड-19 महामारी के झटकों के बाद अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है। हाल में इकॉनमी में जान फूंकने के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज की भी घोषणा की गई थी।
मंगलवार को जारी कस्टम डेटा के मुताबिक नवंबर में चीन के निर्यात में एक साल पहले की तुलना में 6.7% की वृद्धि हुई। अक्टूबर में इसमें 12.7% की बढ़ोतरी हुई थी। विश्लेषकों ने अनुमान लगाया था कि नवंबर में चीन के निर्यात में 8% से अधिक की वृद्धि हो सकती है। आयात में भी एक साल पहले की तुलना में 3.9% की गिरावट आई। इससे साफ है कि देश में उद्योगों और उपभोक्ताओं की डिमांड कमजोर है। आयात की तुलना में निर्यात में बढ़ोतरी से चीन का ट्रेड सरप्लस बढ़कर 97.4 अरब डॉलर हो गया।
चीन की इकॉनमी
चीन की सरकार ने मॉनीटरी पॉलिसी को लचीला बनाने और इकॉनमी को ज्यादा सपोर्ट करने की बात कही है। फिर से अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे डोनाल्ड ट्रंप ने चीनी वस्तुओं के आयात पर 60% या उससे अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इससे चीन के एक्सपोर्ट को खतरा पैदा हो गया है। यह ऐसा सेक्टर है जिसने लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी है। लेकिन पिछले कुछ समय से वह कई मोर्चों पर संघर्ष कर रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर बुरी स्थिति में है और उपभोक्ता खर्च कमजोर बना हुआ है। लोग पैसा खर्च करने के बजाय बचाने में लगे हैं।