नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट बंबई हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर कल यानी नौ अगस्त को सुनवाई करेगा, जिसमें मुंबई के एक कॉलेज परिसर में ‘हिजाब’, ‘बुर्का’ और ‘नकाब’ पहनने पर प्रतिबंध लगाने के निर्णय को बरकरार रखा गया है। बंबई हाई कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते।
ड्रेस कोड होगा सामान्य
इस मामले में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने गुरुवार को एक वकील की दलीलों पर गौर करते हुए कहा कि इसमें नौ अगस्त को सुनवाई की जाएगी। पीठ ने यह भी कहा कि आज से परीक्षा शुरू हो रही है और अल्पसंख्यक समुदाय की छात्राओं को ‘ड्रेस कोड’ पर निर्देशों के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
छात्राओं को ड्रेस कोड से हो रही परेशानी
इस मामले में जैनब अब्दुल कय्यूम समेत याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील अबीहा जैदी ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया। वकील ने कहा कि कॉलेज में ‘यूनिट टेस्ट’ शुरू हो रहे हैं इसलिए इस मामले में तत्काल सुनवाई करने की जरूरत है। हालांकि इस पर सीजेआई ने कल यानी शुक्रवार को सुनवाई करने की बात कही। सीजेआई ने कहा कि उन्होंने इस मामले को पहले ही सूचीबद्ध कर दिया है।
‘ड्रेस कोड कॉलेज में अनुशासन के लिए’
गौरतलब है कि बंबई उच्च न्यायालय ने ‘चेंबूर ट्रॉम्बे एजुकेशन सोसाइटी’ के एन जी आचार्य एवं डी के मराठे कॉलेज द्वारा हिजाब, बुर्के और नकाब पर प्रतिबंध लगाने के फैसले में हस्तक्षेप करने से 26 जून को इनकार कर दिया था। कोर्ट ने इस मामले में कहा था कि ऐसे नियम छात्रों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं करते हैं। बंबई हाई कोर्ट ने कहा था कि ‘ड्रेस कोड’ का उद्देश्य कॉलेज परिसर में अनुशासन बनाए रखना है, जो कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान की ‘‘स्थापना और प्रशासन” के लिए कॉलेज के मौलिक अधिकार का हिस्सा है।