मूर्ति पर महाभारत: छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति कैसे गिरी? विशेषज्ञ ने बताई खास वजह

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शिवाजी की मूर्ति ढहने की घटना: महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने को लेकर काफी विवाद हो रहा है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर राज्य सरकार को घेरा है। इस बीच, एक स्ट्रक्चरल इंजीनियर ने दावा किया है कि मूर्ति के गिरने के पीछे जंग लगे नट और बोल्ट हो सकते हैं।

एक कंसल्टेंसी कंपनी से जुड़े स्ट्रक्चरल इंजीनियर अमरेश कुमार ने कहा कि मूर्ति के ‘टखने’, जहां पूरे ढांचे का भार रहता है, स्थिरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं और इसलिए डिजाइन चरण के दौरान इस पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची मूर्ति गिरी

सोमवार को तटीय सिंधुदुर्ग जिले के राजकोट किले में मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज की 35 फीट ऊंची मूर्ति गिर गई। भारतीय नौसेना द्वारा निर्मित इस मूर्ति का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने करीब नौ महीने पहले किया था।

अधिकारियों ने दावा किया है कि 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हवाओं के कारण प्रतिमा ढह गई, जबकि भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार, संरचना तैयार करते समय लगभग तीन गुना अधिक हवा की गति को भी ध्यान में रखा जाता है।

जंग लगने से प्रतिमा कमजोर हुई

कुमार ने पीटीआई से कहा, ‘इस प्रतिमा के मामले में वजन या जलवायु परिस्थितियों जैसे बाहरी कारकों ने परेशानी नहीं पैदा की। जैसा कि पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट में बताया गया है, ऐसा नट और बोल्ट में जंग लगने के कारण हुआ होगा, जिससे प्रतिमा के अंदर फ्रेम की स्टील सामग्री कमजोर हो गई।’

20 अगस्त को नौसेना को दी गई थी सूचना

महाराष्ट्र लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के एक सहायक अभियंता ने 20 अगस्त को नौसेना कमांडर अभिषेक करभारी, क्षेत्र तटीय सुरक्षा अधिकारी और क्षेत्र नागरिक-सैन्य संपर्क अधिकारी को एक पत्र लिखकर सूचित किया था कि प्रतिमा स्थापित करने में इस्तेमाल किए गए नट और बोल्ट समुद्री हवाओं और बारिश के संपर्क में आने के कारण जंग खा रहे थे।

उन्होंने सुझाव दिया कि मूर्ति के फ्रेम के ‘स्टील मेंबर्स’ के साथ-साथ नट और बोल्ट को पेंटिंग आदि से सुरक्षित किया जाना चाहिए। ऐसा खासकर तटीय इलाकों में किया जाना चाहिए, जहां हवा में नमी और नमक होता है, जिससे जंग लगने की समस्या होती है।

इस तरह पहले भी गिर चुकी हैं मूर्तियां

उन्होंने सुझाव दिया कि मूर्ति स्थल पर नियमित जांच जरूरी है, खासकर उन्हें स्थापित करने से पहले। शिवाजी की मूर्ति गिरने की घटना पिछले साल जून में ओडिशा के बिरसा मुंडा हॉकी स्टेडियम और राउरकेला एयरपोर्ट के पास 40 फीट ऊंची मूर्ति गिरने की घटना से काफी मिलती-जुलती है। दोनों ही मूर्तियां ‘टखने’ वाली जगह से गिरी थीं।

स्ट्रक्चरल इंजीनियर के खिलाफ मामला दर्ज

शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के मामले में स्ट्रक्चरल इंजीनियर चेतन पाटिल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने दावा किया है कि वे मूर्ति निर्माण के लिए ‘स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट’ नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘मेरा इससे कोई लेना-देना नहीं है। मेरे पास कोई ऐसा वर्क ऑर्डर नहीं था, जिसके लिए मुझे नियुक्त किया गया था। यह काम ठाणे की एक फर्म को दिया गया था। मुझे बस उस प्लेटफॉर्म पर काम करने के लिए कहा गया था जिस पर मूर्ति बनाई जा रही थी।’

पाटिल का नाम कलाकार जयदीप आप्टे के साथ एफआईआर में दर्ज है। पाटिल ने कहा कि उन्होंने प्लेटफॉर्म का डिजाइन लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के माध्यम से भारतीय नौसेना को सौंपा था और मूर्ति से उनका कोई लेना-देना नहीं है। पाटिल को एक समाचार चैनल से यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘यह ठाणे स्थित एक कंपनी थी जिसने मूर्ति से संबंधित काम किया था।’

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