गुलखैरा की खेती: एक बार लगाएं, लंबे समय तक मुनाफा कमाएं!

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गुलखैरा, जिसे Croton bonplandianum के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय महत्व वाला पौधा है जिसकी खेती इन दिनों खूब लोकप्रिय हो रही है। इसकी पत्तियां, फूल और तने का इस्तेमाल पारंपरिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों में किया जाता है।

गुलखैरा की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली है। इसकी एक बार बुवाई करने के बाद कई सालों तक पौधे से उपज प्राप्त की जा सकती है।

यहाँ गुलखैरा की खेती शुरू करने की कुछ महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है:

जलवायु और मिट्टी:

  • गुलखैरा को गर्म और उमस भरी जलवायु पसंद है।
  • यह रेतीली-दोमट मिट्टी में अच्छी तरह से उगता है।
  • अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे उपयुक्त होती है।

बुवाई का समय:

  • गुलखैरा की बुवाई का सबसे अच्छा समय जून से जुलाई का महीना होता है।
  • आप सितंबर-अक्टूबर में भी इसकी बुवाई कर सकते हैं।

बुवाई की विधि:

  • गुलखैरा के बीजों को 24 घंटे के लिए पानी में भिगोकर रखें।
  • बीजों को 1.5 से 2 सेंटीमीटर की गहराई पर 10 से 15 सेंटीमीटर की दूरी पर बोएं।
  • बीज बोने के बाद मिट्टी को हल्के से दबा दें।

सिंचाई:

  • गुलखैरा को नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है।
  • गर्मियों में हर 3-4 दिन और सर्दियों में हफ्ते में एक बार सिंचाई करें।
  • मिट्टी को सूखने न दें।

खाद:

  • गुलखैरा को साल में दो बार खाद डालना चाहिए।
  • पहली बार बुवाई के 30 दिन बाद और दूसरी बार फसल कटाई के बाद खाद डालें।
  • आप गोबर की खाद या कम्पोस्ट का इस्तेमाल कर सकते हैं।

कीट और रोग:

  • गुलखैरा पर आमतौर पर कीटों और रोगों का हमला नहीं होता है।
  • यदि कीटों का प्रकोप होता है, तो जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें।

कटाई:

  • गुलखैरा की पत्तियों और तनों को फूल आने के बाद काटा जा सकता है।
  • पत्तियों को सूखने के लिए छाया में फैलाएं।
  • तनों को छोटे टुकड़ों में काटकर सूखा लें।

बाजार मूल्य:

  • गुलखैरा की पत्तियां और तने अच्छी कीमत पर बिकते हैं।
  • बाजार मूल्य स्थान और गुणवत्ता के अनुसार भिन्न हो सकता है।

लाभ:

  • गुलखैरा की खेती कम लागत में अधिक मुनाफा देती है।
  • इसकी खेती के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है।
  • यह एक बार लगाने के बाद कई सालों तक उपज देता है।
  • गुलखैरा औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

अधिक जानकारी के लिए:

  • आप अपने स्थानीय कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विश्वविद्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
  • आप इंटरनेट पर भी गुलखैरा की खेती से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

लेखक:— सोनू वर्मा

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