नई दिल्ली: शिक्षा मंत्रालय ने देशभर में 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में फेल होने वाले छात्रों की रिपोर्ट जारी की है। इसके मुताबिक, साल 2023 में 65 लाख से ज्यादा छात्र पास नहीं हो सके। इस साल की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य बोर्ड में फेल होने की दर केंद्रीय बोर्ड से ज्यादा रही। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 10वीं में फेल होने वाले सबसे ज्यादा छात्र मध्य प्रदेश बोर्ड से थे, उसके बाद बिहार और उत्तर प्रदेश का नंबर था। 12वीं में फेल होने वाले सबसे ज्यादा छात्र उत्तर प्रदेश से थे, उसके बाद मध्य प्रदेश का नंबर था।
10वीं की स्थिति
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि 10वीं में करीब 33.5 लाख छात्र अगली कक्षा में नहीं पहुंच सके। इसमें 5.5 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए, जबकि 28 लाख छात्र फेल हो गए। केंद्रीय बोर्ड में कक्षा 10 में फेल होने वालों की दर 6 प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोर्ड में यह 16 प्रतिशत थी।
कक्षा 12 का प्रदर्शन
कक्षा 12 की परीक्षा में लगभग 32.4 लाख छात्र अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाए। इनमें से 5.2 लाख छात्र परीक्षा में शामिल नहीं हुए और 27.2 लाख छात्र फेल हो गए। केंद्रीय बोर्ड में कक्षा 12 में फेल होने वालों की दर 12 प्रतिशत थी, जबकि राज्य बोर्ड में यह 18 प्रतिशत थी।
लैंगिक असमानता और सरकारी स्कूलों की स्थिति
सरकारी स्कूलों से कक्षा 12 में ज़्यादा लड़कियाँ शामिल हुईं, जबकि निजी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में स्थिति इसके विपरीत थी। इससे यह भी पता चलता है कि माता-पिता शिक्षा पर खर्च करने में लैंगिक पक्षपात दिखाते हैं।
निःशुल्क और प्रतीक्षा सूची की स्थिति
निःशुल्क स्कूलों का प्रदर्शन भी निराशाजनक रहा। कक्षा 10 में 84.9 प्रतिशत छात्र परीक्षा में पास हुए, जबकि 33.5 लाख छात्र फेल हुए या अनुपस्थित रहे। कक्षा 12 में 82.5 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए, तथा नेपाली और मणिपुरी भाषाओं में उत्तीर्णता दर सबसे अधिक (85.3 प्रतिशत) रही।
कुल मिलाकर, 2023 में कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षाओं में 55 लाख से अधिक उम्मीदवार असफल हुए। ये आंकड़े शिक्षा प्रणाली में मानकीकरण की आवश्यकता को उजागर करते हैं तथा क्षेत्रीय और बोर्ड-आधारित असमानताओं को स्पष्ट करते हैं। इस वर्ष के परिणाम शिक्षा प्रणाली में सुधार की आवश्यकता को दर्शाते हैं।